sanja ke geet
Saturday, 13 September 2014
संजा का भोग परसाद
संजा तू जिमले छूठ ले
जीमे सारी रात चमक चाँदनी सी रात
फूला भरी रे परात
एक फूलों घटी गयो
संजा माता टूटी गयी
टुट्या पर मोर नाच्यौ
एक घडी दो घडी साढ़े तीन घड़ी
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