Saturday, 13 September 2014

संजा को  चिढाना 





संजा  का सासरे जावैगा 
खाटो  रोटॉ खावेगा  
संजा की सासू दुपल्ली 
चलते रसते मारेंगी 
असी कसी मारे दारिकी 
चार गुलाटी खायेंगी 
संजा का गाना 



अतल बीतल  की डोरिया न 
बेतल  की तलवार जी 
कोन्सो वीरो बाग लगावे 
कोनसी बेना सींचे जी 
चाँद सूरज भई वीरो बाग लगावे 
संजा बेना सीचे जी 

अतल वितल की डोरिया न 
बेतल की तलवार जी 
 पल्लु वीरो बाग लगावे 
इशिता बेना सींचे जी 


संजा के गीत 



आमली  का झाड़ निच 
झूम झूम बाजा बाजे जी 
छोटो सो पल्लू वीरो 
ले घोडी नचावे जी 
छोटी सी गुड़िया बेना 
ले फूलडा वघावे जी 
आमली का  झाड़ नींच          
















संजा की आरती 


आरती भई आरती करो संजा की आरती 
दूघ म दोरो दुलीचंद दोरो 
दुलीचंद का वा डा म 
अइया चूँ चूँ बईया चूँ चूँ 
दुध भरी न लेवाचाला 
लांदुळा लटकाया जी 
चालो देराणी चलो जेठाणी 
आपा चाला पाणी जी 
पाणी भरत कावड़ टूटी 
अटका बटका लाल बिजोरा 
सुण  सुण बाबा बात कर 
परदेश म परणायो जी 
राजा सरको बाप छोडोयो 
राणी सरकी माय छोड़ी 
कुँवर कन्हैया भाई जी 
अच्छी सी भौजाई जी 
संजा  का भोग परसाद   



संजा तू  जिमले छूठ  ले 
जीमे  सारी रात चमक चाँदनी सी रात 
फूला  भरी रे परात 
एक फूलों घटी गयो 
संजा माता टूटी गयी 
टुट्या पर मोर नाच्यौ 
एक घडी  दो घडी साढ़े तीन घड़ी